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लेकर आगोश में चंदा!

बेला ये सांझ की है आई
किरणे सूरज की मुरझाई
नीले आसमानों के पीछे
झांक रही चांदनी शरमाई।

लेकर आगोश में चंदा
बदरिया हो गई पागल
बहती हुई सी चांदनी
मचाने लगी है हलचल।

चंदा भी निकला देखो
लाखों सितारे भी आए
नीली घटा जब छावे
चुपके से छिप जाए।

झूमे ये बस पुरवाई
बरसेगा अब ये बादल
लेकर आगोश में चंदा
बदरिया हो गई पागल
बहती हुई सी चांदनी
मचाने लगी है हलचल।

ये तो है मनमौजी मौसम
जिया  जलाता जाए
तड़पाए कभी गर्मी से
कभी यूं भिगाता जाए।

आग लगाकर बुझाए
बूंदों में हुई हलचल
लेकर आगोश में चंदा
बदरिया हो गई पागल
बहती हुई सी चांदनी
मचाने लगी है हलचल।

जाने क्यों धरा बावरी
भीगी - भीगी जाए
चारों तरफ हरियाली फैली
खेत भी लहलहाए।

अपने बेटों के सिर पर
धरती मां ने रखा आंचल
लेकर आगोश में चंदा
बदरिया हो गई पागल
बहती हुई सी चांदनी
मचाने लगी है हलचल।

#MJ
#प्रतियोगिता

मनोज कुमार "MJ"





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5 Comments

Niraj Pandey

24-Aug-2021 04:58 AM

वाह बेहतरीन👌

Reply

Zakirhusain Abbas Chougule

23-Aug-2021 06:15 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

23-Aug-2021 03:34 PM

बहुत खूबसूरत।मैंने भी चाँद पर ही लिखा है आज के टॉपिक पर

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